Tuesday, 24 August 2010

जोहार मित्रो,
कैसे है?
क्या आपने नोट किया है की  हजारीबाघ में रास्ता किसी  साहित्यकार के नाम में नहीं है?
हां राची पटना मार्ग को हजारीबाग  में किसी ज़माने में  रविन्द्र मार्ग कहा जाता था, पर अब नहीं. पर किसे क्या फिक्र है?
 कोई भी  रास्ता कवि, लेखक, गायक, संगीतकार या  वेज्ञानीक  के नाम पर नहीं हैं.
निराला ,दीनकर, जगदीशचंद्र बोस, रवी वर्मा, किशोर, रफ़ी, विस्मिल्ला खान, इत्यादि के नाम में 
रास्ते होते या फिर इनके  कहीं मूर्ति होते तो  कितना अच्छा होता, नहीं?
कहीं कोई कवि सम्मलेन नहीं होता, कोई साहित्य चर्चा भी नहीं होता, कोई साहित्य संगठन भी नहीं.
ऐसा होता तो हमारा शहर  एक सुसभ्य, सुसंस्कृत शहर  हो जाता, नहीं? 
शुभाशीस 

2 comments:

  1. sahi baat likha hai aapne. Ek intellectual sanghathan ki rachna sahar mein honi chahiye.Pustak mela bhi regular ho.

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